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उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम

हमारे बारे में

प्रदेश में अन्य पिछड़ी जातियों का सामाजिक, शैक्षिक तथा आर्थिक स्तर सामान्य जातियों की अपेक्षा काफी नीचे है। शासन की ओर से विभिन्न योजनायें चला कर इन जातियों के विकास के लिये समय-समय पर अनेक कदम उठाये जाते रहे है। किन्तु इनके पिछ्ड़ेपन में अभी भी अपेक्षित सुधार नही हो पाया है। इस पिछ्ड़ेंपन का मुख्य कारण इन जातियों के व्यक्तियों में धनाभाव का होना, औद्योगिक साहस का न होना एवं तकनीकी जानकारी का न होना आदि है। इन जातियों के पिछ्ड़ेपन के कारण सम्पूर्ण प्रदेश आर्थिक दॄष्टि से अन्य प्रदेशों की तुलना में अभी भी पिछ्ड़ा हुआ है। पिछ्ड़ी जाति के लोगों के आर्थिक उत्थान से पूरे प्रदेश का भी आर्थिक विकास सम्भव हो सकेगा। इसी उद्देश्य को दॄष्टि में रखते हुये श्री राज्यपाल उत्तर प्रदेश द्वारा पिछड़ी जाति वित्त एवं विकास निगम की स्थापना करने की स्वीकॄति शासनादेश सं0 3459/26-3-89-9(51)/89 दिनाँक 20.09.1989 द्वारा प्रदत्त की गई तथा निगम की अधिकॄत अंशपूँजी 10.00 करोड़ रुपया निर्धारित करते हुए 100 रूपया मूल्य के दस लाख इक्यूटि शेयर्स से विभाजित की गई, जो वर्ष 1999 में दिनाँक 12.11.1999 को शासनादेश सं0 1785/64-2-94-14(2)/95 द्वारा निगम की अधिकॄत अंशपूँजी रू0 10.00 करोड़ से बढ़ाकर 30 करोड़ कर दी गयी है। इस निगम का नाम उत्तर प्रदेश पिछड़ी जाति वित्त एवं विकास निगम पब्लिक लिमिटेड कम्पनी रखा गया, जिसके 50% से अधिक शेयर राज्य सरकार के निर्धारित किये गये। इस निगम का उद्देश्य राज्य में पिछ्ड़ी जाति के गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों का आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षिक उत्थान करना है। व्यवसायिक शिक्षा तथा डाक्टरी, इन्जीनियरिंग, वकालत, आर्किटेक्ट, चार्टड एकाउन्ट की शिक्षा ग्रहण करने हेतु शैक्षिक ॠण तथा निजी व्यवसाय को आरम्भ करने हेतु रियायती ब्याज दर पर ॠण देने की व्यवस्था की गयी है, साथ ही पिछड़ी जाति के गरीबी की रेखा के नीचे के व्यक्तियों को विभिन्न व्यवसायों में प्रशिक्षण प्रदान कर रोजगार तथा स्वतः रोजगार के अवसर प्रदान करना तथा सामाजिक उत्थान हेतु ऐसे कार्यक्रम करना जो उनके लिये हितकर हों, भी लक्ष्य के रूप निर्धारित किये गये। 26 अप्रैल 1991 को उत्तर प्रदेश पिछड़ी जाति वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड का पंजीकरण कम्पनी अधिनियम 1956 के अधीन किया गया। दिनाँक 17.10.1997 को कम्पनी अधिनियम 1956 की धारा 2 के अन्तर्गत " उत्तर प्रदेश पिछड़ी जाति वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड " का नाम परिवर्तित कर " उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड " किया गया।

ऋण अदायगी सम्बंधित सूचना

मार्जिन मनी ऋण अदायगी/वापसी मूलधन एवं निर्धारित ब्याज सहित अधिकतम 10 बर्ष अथवा योजना विशेष में निर्दिष्ट अवधि के अन्दर की जायेगी। ऋण वापसी की प्रथम किश्त ऋण प्रप्ति के 4 माह बाद

ऋण के उपयोग सम्बंधित निर्देश

लाभार्थी द्वारा ऋण का उपयोग यदि उस कार्य हेतु नही किया जाता है जिसके लिये ऋण लिया गया है तो ऋण की धनराशि पर 12 प्रतिशत की दर से ब्याज चार्ज किया जायेगा तथा बकाया धनराशि एक मुश्त बस

ऋण की बसूली सम्बंधित निर्देश

ऋण ग्रहीता द्वारा ऋण का भुगतान न करने की दशा मे बकाया ऋण की बसूली उ0प्र0 लोकधन(देयों) की बसूली अधिनियम 1972 के अर्न्तगत सक्षम अधिकारी द्वारा बसूली प्रमाण पत्र(रिकवरी सर्टिफिकेट) जा